धर्म/अध्यात्म

आज है भौम प्रदोष व्रत, पंचांग से जानें शुभ-अशुभ योग और पूजा विधि

वैदिक पंचांग के अनुसार हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। इस दिन महादेव की पूजा-अर्चना होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार शिव जी की पूजा करने से जीवन खुशहाल होता है। आइए ऐस्ट्रॉलजर आनंद सागर पाठक से जानते हैं आज का (Aaj ka Panchang 08 July 2025) पंचांग।

आज यानी 08 जुलाई को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। हर महीने इस तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन महादेव की पूजा और व्रत करने से साधक को सभी भय से छुटकारा मिलता है। साथ ही शिव जी की कृपा प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत के दिन कई योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं पंचांग (Aaj ka Panchang 08 July 2025) और शुभ योग के बारे में।

तिथि: शुक्ल त्रयोदशी

मास पूर्णिमांत: आषाढ़

दिन: सोमवार

संवत्: 2082

तिथि: 09 जुलाई को त्रयोदशी रात्रि 12 बजकर 38 मिनट तक

योग: शुक्ल रात्रि 10 बजकर 17 मिनट तक

करण: कौलव प्रात: 11 बजकर 57 मिनट तक,

करण: 09 जुलाई को तैतिला प्रात: 12 बजकर 38 मिनट तक

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर

सूर्यास्त: शाम 07 बजकर 23 मिनट पर

चंद्रोदय: शाम 05 बजकर 33 मिनट पर

चन्द्रास्त: 09 जुलाई को रात 03 बजकर 39 मिनट पर

सूर्य राशि: मिथुन

चंद्र राशि: वृश्चिक

पक्ष: शुक्ल

शुभ समय अवधि
अभिजीत: प्रात: 11 बजकर 58 मिनट से दोपहर 12 बजकर 54 मिनट तक

अमृत काल: शाम 05 बजकर 42 बजे से शाम 07 बजकर 26 मिनट तक

अशुभ समय अवधि
गुलिक काल: दोपहर 12 बजकर 26 से दोपहर 02 बजकर 10 मिनट

यमगंड: प्रात: 08 बजकर 58 बजे से प्रात: 10 बजकर 42 मिनट तक

राहु काल: दोपहर 03 बजकर 54 बजे से शाम 05 बजकर 38 मिनट तक

आज का नक्षत्र

आज चंद्रदेव अनुराधा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे…

अनुराधा नक्षत्र: 08 जुलाई को प्रातः 01 बजकर 11 मिनट तक

सामान्य विशेषताएं: समाज में सम्मानित, आत्मकेंद्रित, आक्रामक, साहसी, बुद्धिमान, मेहनती, विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित और सुंदर बाल

नक्षत्र स्वामी: शनि

राशि स्वामी: मंगल

देवता: मित्रता के देवता

प्रतीक: अंतिम रेखा पर एक फूल

भौम प्रदोष व्रत 2025
भौम प्रदोष व्रत उस प्रदोष तिथि को कहा जाता है जो मंगलवार (भौमवार) को पड़ती है। जब यह शुक्ल पक्ष में आता है, तब इसे भौम शुक्ल प्रदोष व्रत कहा जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव को प्रसन्न करने और जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिए रखा जाता है। प्रदोष व्रत का महत्व तब और भी बढ़ जाता है जब यह मंगलवार के दिन आता है, क्योंकि मंगलवार को मंगल ग्रह का दिन माना गया है जो ऋण, दुर्घटनाओं और शत्रु बाधाओं को नियंत्रित करता है।

त्रयोदशी अवधि-
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ- 07 जुलाई को रात्रि 11 बजकर 10 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त- 09 जुलाई को रात्रि 12 बजकर 38 मिनट तक

धार्मिक मान्यता-
मान्यता है कि भौम शुक्ल प्रदोष व्रत रखने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और साधक को शत्रु, कर्ज और रोगों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत जीवन में साहस, ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करता है।

पूजा विधि-
प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान कर साफ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
संध्या समय प्रदोष काल (सूर्यास्त से पहले का समय) में भगवान शिव का अभिषेक करें।
भगवान शिव को जल, दूध, दही, शहद और गंगाजल से स्नान कराएं।
बेलपत्र, अक्षत, फूल और धूप-दीप अर्पित करें।
महामृत्युंजय मंत्र या ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करें।
प्रदोष व्रत कथा का श्रवण करें और भगवान से अपनी समस्याओं के निवारण की प्रार्थना करें।

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